...

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wo kahti hai..
वो कहती हैं तुम्हारे बिन कहीं मै जी नही सकती,
बड़ा तीखा जहर है ये कभी मै पी नही सकती,
बहुत सोचा की काटू रात को तन्हा तेरे बिन भी,
तेरी यादें हैं ये आँखों से कभी ओझल नही होती।




वो कहती है तुम बिन जीना दुश्वार है ,
तुमको देखने को दिल बेकरार है ,
तुममे मिल जाने का बस अब इंतजार है ,
बिन तुम्हारे बड़ा ही कठिन है सफर ,
मिल रही है न अब भी तुम्हारी खबर,
हो रही अब जहां से भी मै बेखबर।

वो कहती है वादा अभी है अधूरा ,
जब तलक तुम न आओगे होगा न पूरा ,
बिन तुम्हारे सदा ही है जीवन अधूरा ,
तुम्हारी बातों से दिल को दिलासा रही है ,
तुम आओगे एक दिन ये आशा रही है ,

वो कहती है वो है एक पत्थर की मूरत ,
जिसकी आँखों में दिखती है बस तेरी सूरत ,
सूरत को दिल में बसाये हुए वो ,
कहती मिलना तुमसे है अंतिम जरुरत ,
जरुरत की खातिर ही मिलना है तुमसे ,
तुमसे मिलके ही होगी जरुरत ये पूरी ,
बिन तुम्हारे है जीवन अभी तक अधूरा ,
जब तलक तुम न मिलते न होगा ये पूरा।

वो कहती है. .



© Navneet Kumar mishra