...

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अन दाता
अन्न दाता
मैने जोता अपना खुन पसीना है
कच्ची मिट्टी में बोया सोना है
ठंडी की ठिठुरती रातों में
भीगीपलकों को लेकर सोया हूँ
ना जाने ये कैसा दिंन आया है ...