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तुम चाहते हो
लिखकर सुना दो जो तुम चाहते हो,
बिन बोले जताना तुम क्यों चाहते हो?
शराफ़त के किस्से बहुत है सुने पर,
सुना दो सभी को जो तुम चाहते हो।
आदत कभी न थी खुद को जताएंगे,
लिखते वही हम जो तुम चाहते हो।
ख्वाबों ख्यालो में खुद को दफ़न कर,
ढंक दो कफ़न से जो तुम चाहते हो।
बहुत है हमारे तुम्हारे अलावा भी,
बुझा दो चिराग़े जो तुम चाहते हो।
बिन बोले जताना तुम क्यों चाहते हो?
शराफ़त के किस्से बहुत है सुने पर,
सुना दो सभी को जो तुम चाहते हो।
आदत कभी न थी खुद को जताएंगे,
लिखते वही हम जो तुम चाहते हो।
ख्वाबों ख्यालो में खुद को दफ़न कर,
ढंक दो कफ़न से जो तुम चाहते हो।
बहुत है हमारे तुम्हारे अलावा भी,
बुझा दो चिराग़े जो तुम चाहते हो।
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