...

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बात के मानी
ख्वाब साझा हो चले कुछ बात पर
दिल जो मुरझाये खिल पड़े कुछ बात पर
बात आंखों के नीचे पड़े काले रंग की
बात सपनों पर लगे पाबंद की
बात होती रही खिली घूप की
फिर मिले किसी रूप के रूप की
है कहानी के हिस्से में कहानी भी
बात तो सुनता रहा जो उसे जानी थी
अब की हम दोनों के किस्से कुछ मिल चले
इश्क़ की राह पर कुछ बढ़ चले
बात इतनी ही बड़ी और थम गई
बात कुछ पुराने रिश्तों की जो चल गई
मुझसे पूछे और क्या ही होता है
गम ज्यादा अपना खुशी से होता है
लोग कहते रहे भूत भूल आगे चलो
मैं उसकी याद में कहता रहा मुझे फिर मिलो
इस तरह होता है किस्सा बात का
मिलना मिलाना साथ रहता कहाँ है यार का
आप जो कहते रहे हैं बात अपनी
प्रेम पीड़ा की लिखे किताब अपनी
मुझमें रहने लगा है कोई और
है नहीं अब इसमें कोई सौगात अपनी

© RYansh