मनुष्य अजीब है तू
मनुष्या तू कितना अजीब है
एक पल मे हंसता ; एक पल मे रोता
एक आँख मे आँसू और दूसरी मे हंसी का नशा
तुझे गम है किसी अपने के खो जाने का
और दूसरे पल खुशी है उसके जाने की
मनुष्य तू कितना अजीब है
ना जाने तेरे अन्दर दिल है
या पत्थरों का ढेर है
ना जाने तुझे उसने किस मिट्टी से...
एक पल मे हंसता ; एक पल मे रोता
एक आँख मे आँसू और दूसरी मे हंसी का नशा
तुझे गम है किसी अपने के खो जाने का
और दूसरे पल खुशी है उसके जाने की
मनुष्य तू कितना अजीब है
ना जाने तेरे अन्दर दिल है
या पत्थरों का ढेर है
ना जाने तुझे उसने किस मिट्टी से...