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मायूस न हो मेरी दिल की मल्लिका
कहानी किसी और की है पर खुद की जुबानी लिखती हूँ।
अपने दर्द को किस्मत मान लिया हैं।

मेहनत की भट्ठी मे खुद को झोंक उसने ये ठान लिया हैं सबके खातिर जीते जीते उसने खुद को भूला दिया हैं।
पैरों की काट से भी अब उसे सिला नहीं। क्योंकि जीवन मे उसे सुख का एक पल मिला नहीं।

मासूम हैं तु मै जनाती हूँ दर्द के तेरे हर निशाँ और उनका पता सब पहचानती हूँ।

मजबूर हूँ मै मगरूर न समझना, तेरे लिए भी सोचती हूँ तु हिम्मत बनाये रखना।
वादा करने मे बेशक डर लगता हो पर वादा है तेरे वो पल तेरे आचँल मे डाल दूँगी। जो खो दिया वो वापस तो न होगा ,पर तुझे मेरी जिंदगी के खुशियों के हर पल उपहार मे दूँगी।

मायूस न हो मेरी दिल की मलिक्का तेरे लिए मेरा दिल घबराया रहता हैं। तुझे मैंने अपने दिल मे जो संभाल रखा हैं।

तुझे अब हर हाल मे अपने करीब रखना है और फिर हर दिन तेरे दिल को अपने प्यार से सींचना हैं।

माँ तुझसे तेरी नकाबिल बेटी का बस इतना कहना हैं। हिम्मत रखना क्योंकि तेरे होने से मेरा पूरा जहाँ थमा हैं।

मेरी (माँ)मेरे दिल की मल्लिका❤✍️


© Aarti kumari singh