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Gazal ke trane
Gazal ke trane


जलबा ये हुस्न अब रोंके नहीं रुकेंगे

कितना ही छिपाए बिखर के रहेंगे

जितना दबायेंगें उतना उभरेंगें

डालेंगें इस तरह शौक अंदाज

तो दिल के अरमां मचल के रहेंगे


चिंगारी है तेरी मस्त निगाहे

ये शीशे के सामने पिघलके रहे

हम भी चुप ना रहेंगे यही कहेंगे

जलबा ये हुस्न अब रोंके नहीं रुकेंगे


ये गोरे गोरे गालों पे काली काली लट

कोई हटा ना दे चुपके से घूंघट

पवन सरी सी शशरत ना उठा दे तेरा घूंघट

जबानी में हो जाता है दिल बड़ा नटखट

दिल को पकड़े रखना कहीं टूट ना जाए झटपट


इक बार आंखों में आंखें डालके मुस्कुरा दे

इस जलते दिल की जलन मिटा दें

सावन, भादे दर्द भरे रहे

एक बार तो आके दर्द मिटा दे


ऐसा फूल हूं जिसमें कांटे लगे हैं

बिना कांटो के फूल महफूज नहीं है

हो जबा तुम अपने रंग - रुप से

बिना तुम्हारे महफिल - महफिल नहीं है


बड़े नाजुक हम छोडने की नहीं हो रही

लगती हैं तोड़ने की नहीं हो रही, मरोडने की नहीं हो रही

ऐसी निगाहे डालने की नहीं हो रही


सिफ मेरे सारे आलम में नहीं मेरे आशिये में कजरा लिए

तेरे जलबे जलते दिल को मिल जाए चैन

ये जुलफो की घटा मेरे दिल पे फेर मेरे जीवन को कर दे रौशन



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