...

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इश्क़ का खेल
वाक़िफ थे हम
इश्क़ के खेल के अंजाम से
फिर भी बच ना पाए
हार बैठे ज़िन्दगी इश्क़ के दाव से

पहले बर्फ से पिघले इश्क़ की तपिश में
फिर झुलसे उसी इश्क़ की आग से
जान के भी उतरे हम दरिया-ए-इश्क़ में
फिर बह गए ज्वार-ए-इश्क़ के बहाव से

जानते थे हम मुकम्मल इश्क़ की
कहानियां है ख़्वाब से
सिवा दर्द के कुछ ना होगा हासिल
ये जान के भी बच ना पाए इश्क़ के आगाज़ से

© agypsysoul

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