🔸आगे बढ़ो🔸
हर ओर से हर राह पे अंधेरा तुझको घेरता,
तब राही तू क्यूं हारकर अपना मुंह है फेरता।
हिम्मत करो आगे बढ़ो हैं मंज़िलें आगे कई,
चीरो अंधेरी रात को फिर आएगी सुबह नई।
डरकर अगर तुम रुक गए आगे न फिर बढ़ पाओगे,
देखोगे पीछे मुड़के और ताउम्र तुम पछताओगे।
वीरता का लो पता हिम्मत से कर लो वास्ता,
जो ठान लेगा तू अगर तो पर्वत भी देगा रास्ता।
हौंसले की लो कलम नित तुम नई रचना गढ़ो,
दो आग अपनी नींद को हिम्मत करो आगे बढ़ो...
© Aakash_50
तब राही तू क्यूं हारकर अपना मुंह है फेरता।
हिम्मत करो आगे बढ़ो हैं मंज़िलें आगे कई,
चीरो अंधेरी रात को फिर आएगी सुबह नई।
डरकर अगर तुम रुक गए आगे न फिर बढ़ पाओगे,
देखोगे पीछे मुड़के और ताउम्र तुम पछताओगे।
वीरता का लो पता हिम्मत से कर लो वास्ता,
जो ठान लेगा तू अगर तो पर्वत भी देगा रास्ता।
हौंसले की लो कलम नित तुम नई रचना गढ़ो,
दो आग अपनी नींद को हिम्मत करो आगे बढ़ो...
© Aakash_50