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याद करो उन वीरों को
याद करो उन वीरों को जो देकर अपनी जान को,
अंग्रेजों से छुड़ा गए जो अपने हिंदुस्तान को,
भूल न जाना भारत मां के बेटों के बलिदान को ,
कभी चुका नहीं पाओगे उन वीरों के एहसान को,
चाहे मानो अल्लाह को तुम या मानो भगवान को,
जाति धर्म का भेद भुलाकर पहचानो इंसान को,
जिनकी तोपों के गोलो से जलकर दुश्मन राख हुए,
उनमें वीर अब्दुल हमीद और बिस्मिल और अशफाक हुए, भारत मां पर मिटने को मिलता है मौका भाग से ,
वो हंसकर कहते थे यारों चलो खेलने आग से ,
भूखा रहना पड़ता था या खाते सूखी साग से ,
हमें मिली है आजादी ऐसे वीरों के त्याग से ,
भारत माता की जय कहकर कोड़े बदन पर खाते थे ,
नाम साथियों का वो लेकिन हरगिज नहीं बताते थे ,
अगर आन पर बन आती तो हंसकर शीश कटाते थे ,
लेकिन वह दुश्मन के आगे सर को नहीं झुकाते थे ,
जाड़ा गर्मी वर्षा सहते भूखे वक्त बिताते थे ,
फिर भी लड़ने को वह ताकत जाने कहां से पाते थे,
सुख सुविधाऐं सारी त्यागी अपनों से भी दूर हुए ,
जाने किस मिट्टी के बने थे जो टूटे ना चूर हुए,
गोली खाकर भी दुश्मन की हटते नहीं वो पीछे थे ,
दुश्मन बैठा था पर्वत पर वो खाई में नीचे थे,
घायल हो गए हाथ वो फिर भी तीर कमानें खींचे थे ,
भारत मां के बाग उन्होंने अपने लहू से सींचे थे ,
तरफ मौत की बढ़ते जाते वीर बहादुर बन्दे थे ,
कैसे दिखती मौत उन्हें वो देश प्रेम में अंधे थे,
अंगारों पर चलते थे वह तूफानों में पलते थे,
आग भरी थी सीने में और तन में लहू उबलते थे ,
व्रत ठाना आजादी का और त्याग दिया जलपान को ,
अपना व्रत वो पूरा कर गए देकर अपनी जान को ,
पढ़ भी नहीं पाए उसको जो घर से आई चिट्ठी थी ,
जब छूटी थी सांस आखिरी हाथ में उनके मिट्टी थी,
याद करो उन वीरों को जो देकर अपनी जान को,
अंग्रेजों से छुड़ा गए जो अपने हिंदुस्तान को,
भूल न जाना भारत मां के बेटों के बलिदान को,
कभी चुका नहीं पाओगे उन वीरों के एहसान को।
"जय जवान जय किसान"
© राम अवतार "राम"