...

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ये दिल तेरा हो पाया नहीं|||
व़क्त देकर तुझे अपना, मैंने कभी व़क्त गिनवाया नहीं,,,
हमेशा ज़रूरत के व़क्त साथ छोड़ा तूने मेरा,,
पर तेरा साथ देने से , मेरा दिल कभी घबराया नहीं|||
ज़िल्लतो से नवाज़ी गई हूँ पहलु में तेरे,,
तूझे मेरे शहंशाह से कम मैंने कभी बताया नहीं|||
इंतज़ार में तेरे कई साल बिताए हैं,,
पर तेरे सिवा एक पल के लिए भी दिल कहीं बहलाया नहीं|||
झूठी मुस्कान लिए कई बार हंसा है ये दिल आगे तेरे,,
पर सच्चे आंसू एक बार भी रो पाया नहीं,,,,
कुछ खास तो नहीं रहीं जि़न्दगी संग तेरे,,
पर तेरे बिन रहना मैंने दिल को कभी सीखाया नहीं|||
न जाने कैसे ठुकरा देता हैं सच्ची मोहब्बत हर बार मेरी,,,
मेरा दिल तो तेरी दिल लगी भी भुल पाया नहीं|||


© vandana singh