अश्कों की कहानी..........✍🏻
जो आंखों ही आंखों से मिल-जुल रहें हैं
वो ही तो अश्कों की कहानी में घुल रहें हैं
ख़ामोश लफ़्ज़ों की गवाही को क्या बताएं
ज़र्रे - ज़र्रे में आज-कल ज़ख़्म खुल रहें हैं
तमाम सवालों की उलझनें यूं बढ़ने लगी है
यूं ही नहीं यहां अश्कों के सब क़ातिल रहें हैं
बहानों के फसानों में मौजूद रहना छोड़ दिया
क्योंकि आंखों की भाषा को सब भुल रहें हैं
हाय! ये ज़ख़्मों का...
वो ही तो अश्कों की कहानी में घुल रहें हैं
ख़ामोश लफ़्ज़ों की गवाही को क्या बताएं
ज़र्रे - ज़र्रे में आज-कल ज़ख़्म खुल रहें हैं
तमाम सवालों की उलझनें यूं बढ़ने लगी है
यूं ही नहीं यहां अश्कों के सब क़ातिल रहें हैं
बहानों के फसानों में मौजूद रहना छोड़ दिया
क्योंकि आंखों की भाषा को सब भुल रहें हैं
हाय! ये ज़ख़्मों का...