...

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कुछ भी
कुछ भी
कुछ भी
करता है तू कुछ भी
सोता नहीं रात को
मानता नहीं बात को
जिद्दपन की हद्द है
छोड़ता नहीं ज़ज्बात को
रात को
रात को
जाता मेरे साथ को
बोलता नहीं बात को
जानता हूँ ज़ज्बात को
इसलिए
इसलिए
करता नहीं पड़ताल को
करता है तू कुछ भी
कुछ भी
कुछ भी
जाएगा
तू जाएगा
ताल तक तू जाएगा
नहीं मिलेगी वो
फ़िर तू लौट आएगा
फ़िर भी तू जाएगा
आयेगा
आयेगा
करता है तू कुछ भी
कुछ भी
कुछ भी
आएना
तू देख
जल की भावना
तू देख
कंकड ना
फेंख
मिट...