...

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कुछ भी
कुछ भी
कुछ भी
करता है तू कुछ भी
सोता नहीं रात को
मानता नहीं बात को
जिद्दपन की हद्द है
छोड़ता नहीं ज़ज्बात को
रात को
रात को
जाता मेरे साथ को
बोलता नहीं बात को
जानता हूँ ज़ज्बात को
इसलिए
इसलिए
करता नहीं पड़ताल को
करता है तू कुछ भी
कुछ भी
कुछ भी
जाएगा
तू जाएगा
ताल तक तू जाएगा
नहीं मिलेगी वो
फ़िर तू लौट आएगा
फ़िर भी तू जाएगा
आयेगा
आयेगा
करता है तू कुछ भी
कुछ भी
कुछ भी
आएना
तू देख
जल की भावना
तू देख
कंकड ना
फेंख
मिट जाएगा
ये लेख
करता है तू कुछ भी
कुछ भी
कुछ भी
आयेगी
वो गायेगी
शांत पानी मैं
इतरायेगी
देख देख कर
आँखों को
पुलकित हो जाएगी
आयेगी
वो गायेगी
फ़िर से
इतरायेगी
करता है तू कुछ भी
कुछ भी
कुछ भी
ये जो है सहारा
नहीं है अब गंवारा
कोई नहीं है चारा
उम्मीद दे तू छोड़
आयेगा फिर मोड़
ये रास्ता त्रिकोण
जन्म म्रत्यु
गठजोड़
बीच मैं होती होड़
आयेगा फिर मोड़
आयेगी
वो आयेगी
गायेगी
वो गायेगी
किसी कोण मैं गायेगी
आयेगी
आयेगी
करता है तू कुछ भी
कुछ भी
कुछ भी
कर रही वो वादा
सोचता क्यों ज्यादा
देख उसका इरादा
आसमान मैं टिमटिमा रही है
जैसे जुगनू मादा
छाई है
परछाईं है
शांत पानी मैं शर्माई है
आयी है
आयी है
करता है तू कुछ भी
कुछ भी
कुछ भी

© Abhishek mishra