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आधा सच
दरिया की रवानी सा आधा सच बताया नहीं जाता
आग हूँ झुलस जाओगे ये राज़ छुपाया नहीं जाता
उदास चेहरे को मशक्कत की धूप में सुर्ख़ रखते हैं
नहीं की आम कहानी तेरी यादों की ये ज़र्फ़ रखते हैं
रखना है दुनिया में बाक़ी कुछ तो हक़ीक़त का भरम
यूँ रहता नहीं झूट आसपास मेरे यही है रब का करम
कुछ लफ़्ज़ मेरे कलम पे ठहरते नहीं आजकल
पाबंद ए वफ़ा है ये नकल करते नहीं बिलकुल
ना जाने मेरे मिजाज का वो मौसम कैसे आयेगा
है उम्मीदों का नूर जिस तरह रौशन क्या ऐसे आयेगा
NOOR E ISHAL
© All Rights Reserved
आग हूँ झुलस जाओगे ये राज़ छुपाया नहीं जाता
उदास चेहरे को मशक्कत की धूप में सुर्ख़ रखते हैं
नहीं की आम कहानी तेरी यादों की ये ज़र्फ़ रखते हैं
रखना है दुनिया में बाक़ी कुछ तो हक़ीक़त का भरम
यूँ रहता नहीं झूट आसपास मेरे यही है रब का करम
कुछ लफ़्ज़ मेरे कलम पे ठहरते नहीं आजकल
पाबंद ए वफ़ा है ये नकल करते नहीं बिलकुल
ना जाने मेरे मिजाज का वो मौसम कैसे आयेगा
है उम्मीदों का नूर जिस तरह रौशन क्या ऐसे आयेगा
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