ग़ज़ल
जीने का सामान बना रक्खा है
यादों को दरबान बना रक्खा है
तिरी खुशी के कैनवास पर हमनें
दिल धड़कन और जान बना रक्खा है
उसकी बातें सुनने की ख़ातिर ही
हमने दिल को कान बना रक्खा है
सुखन कलम को ही...
यादों को दरबान बना रक्खा है
तिरी खुशी के कैनवास पर हमनें
दिल धड़कन और जान बना रक्खा है
उसकी बातें सुनने की ख़ातिर ही
हमने दिल को कान बना रक्खा है
सुखन कलम को ही...