...

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गलतफहमियां रिश्तों को इस तरह खा जाती है ...
आईने मुलाकात के जब शिकार देर की धूल
के होने लगे....
राब्ते दर्मियां के सुनो जब कम से कमतर
होने लगे....
सफ़ाई अश्कों की भी जब सुनो बेमानी सी
लगने लगे...
मिठास रिश्तों की जिस घड़ी कड़वाहट ने
बदलने लगे ...
दरारें दर्मियाँ ली जब खाई में बदलने लगे...