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कर्मफल भोगना ही पड़ता है
श्री रमण महर्षि के पास एक शिष्य गया और पूछने लगा- गुरुदेव हमें दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?
तो रमण कहने लगे- कर दी ना उल्टी बात ! दूसरों के साथ तो कोई कुछ करता ही नहीं, हम जो भी करते हैं खुद के साथ ही कर रहें होते हैं, क्योंकि अंतिम परिणाम तो हमें ही भोगने होते हैं, जिस भाव से हम दूसरों को पीड़ा पहुँचाते हैं, तो ध्यान रहें पीड़ा सदैव पीड़ित व्यक्ति से ही निकलेगी, ज्ञानी से ज्ञान निकलता है, और पीड़ित से पीड़ा ।
© 🌍Mr Strength
तो रमण कहने लगे- कर दी ना उल्टी बात ! दूसरों के साथ तो कोई कुछ करता ही नहीं, हम जो भी करते हैं खुद के साथ ही कर रहें होते हैं, क्योंकि अंतिम परिणाम तो हमें ही भोगने होते हैं, जिस भाव से हम दूसरों को पीड़ा पहुँचाते हैं, तो ध्यान रहें पीड़ा सदैव पीड़ित व्यक्ति से ही निकलेगी, ज्ञानी से ज्ञान निकलता है, और पीड़ित से पीड़ा ।
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