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दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
मन की दिवारो पर प्रतिबिंब कर रहा कोई,
सागर सी जिंदगी में लहरों सा उठ रहा कोई,
यूं कब तलक दूर से ही हम निहारें आपको,।
दूर किनारे पर क्षितिज सा दिख रहा कोई,
इश्क के समंदर में जैसे गोते लगा रहा कोई
बंजारे मन में आहिस्ता आहिस्ता बस रहा कोई
बेरंग उदास सी जिंदगी में रंग भर रहा है कोई
हवा के झोंको संग आलिंगन कर रहा कोई
यूं कब तलक दूर से ही हम निहारें आपको।
Ruchi Arun...✍️✍️
© All Rights Reserved
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
मन की दिवारो पर प्रतिबिंब कर रहा कोई,
सागर सी जिंदगी में लहरों सा उठ रहा कोई,
यूं कब तलक दूर से ही हम निहारें आपको,।
दूर किनारे पर क्षितिज सा दिख रहा कोई,
इश्क के समंदर में जैसे गोते लगा रहा कोई
बंजारे मन में आहिस्ता आहिस्ता बस रहा कोई
बेरंग उदास सी जिंदगी में रंग भर रहा है कोई
हवा के झोंको संग आलिंगन कर रहा कोई
यूं कब तलक दूर से ही हम निहारें आपको।
Ruchi Arun...✍️✍️
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