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भगवान की अहमियत
पहेली हे पुरानी
सुलझा सको, तो सुलझा दो
वह एक लॅ हे, माना रोशनी
तो साथ उसके लॅ भी है, माना कानुन
ऊसके नाम पे,
लॅ मेकरों की पुरी हुजुम है, पर रोशनी नहीं
जिस आयाम मे हो अभी,
रोशनी को इन आखों सै देखने की,
न करो जहमत

ये राह दिखाता उजाला हे,
आखों से ना दिखे, पर ऊजाले की बौछार है
दुनिया को नई दिशा देता,
उम्मीद नहीं, आपका हक हे ये
कभी उपर निहारा, कभी ॐ से किया प्यार
श्रीकृष्ण, श्रीराधे, श्रीराम जी से भी,
दिल लगाते दिखे
ईशा के दरबार मे शिश निचे किऐ, कई राजे दिखे
पर दिल लगाई होती, किया होता प्यार
तो ईन प्रकाश के बादशाहों से,
आखों का ईलाज न हो, ये तो मुमकिन ही नहीं
धरम के ठेकेदारों ने, युद्ध की बिगुल जो बजाई
कहीं युक्रैन दिखा, तो कहीं ईजराऐल
अन्धों की पुरी ईन्सानी बस्ती दिखी
रोशनी से सराबोर जो रुह थी,
उसमे खामोशी के अन्धींयारे दिखे
रोशनी के पाठशाला मे,
उजाले पर ईलजाम लगते दिखे,
रोशनी को रोशनी से दुर करते,
अन्धीयारों के साजिश दिखे

खैर मना ऐ अन्धींयारे, की मेरे लॅ,
मेरे राम अपनी आगोश मे लेने,
जब जब आए, तब तब प्रकाश का मंजर दिखा
एक दिया से जो रोशनी आई,
आजतक भुखों के लिऐ लंगर दिखे
रोशनी की अब पहचान हुई है,
दिल और दिमाग मे धीरे धीरे,
ऊतरती वो रोशनी, उम्मीद के किरण दिखाता
ये कभी न बुझने वाली जलती दिया है,
रोशनी ये, जो जुवां से दिखती,
कानो मे गुंजती, ईरादों की रोशनी ये
बाप कहो या बाबा, बाप हे तो ये मा भी है
मा की दुलार इसमे, तो बाप की परवरीश भी है
गुरुओं का गुरु हे,
तालिम के नए आयाम से मिलाते

प्यार, मोहब्बत की बेशुमार रोशनी हो जहां
हीरे, मोती के महल हो या न हो
राधे कृष्ण के रास संग, स्वर्ग वहां
पुरे धरती, आशमान के हम महाराजे हों
नानक, वुद्ध , ईशा और श्रीराम की जहां यारी हो
ऐसी जहां हमारा हो,
बस अपनी कभी न बुझने वाली,
वो दिया संग हमारा बसेरा हो


© Birendra Debta