...

2 views

खामोशियां
ये खामोशियां जब छाती हैं वीरानियां सी बढ़ा जाती हैं।

हो कुछ पल की या अरसे की जीवन नीरस सा बना जाती हैं‌।

शांत बनो चिंतन करो आत्म मनन कर सरल रहो

खामोश रहकर चुपके से मन की दुविधाओं में मत वृद्धि करो।

मधुर वाणी का वरण कर सुंदर बात करते दिल हल्का करो

उर में समाहित राज़ खोलो, जो है मन में अपनों से कहो

कुछ अपनी कहते उनकी सुनते जीवन रंग में तुम रंगो

दुर्भावों दुर्विचारों की फैली चरायंध से तुम बचो

यह प्रकृति यह फ़िज़ा देखना फिर से ख़ुशनुमा होगी

कहकहों के माहौल में महफ़िलें फिर से जवां होगी।

नूरी चेहरे की मुस्कान मर्ज़ ए दिल की जब दवा होगी

खामोशियां धीरे धीरे अंतर से फिर रवां होंगी ।