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व्यथा
बिन बोले समझ जाए वैसा अब कुछ रहा नहीं
शायद दूर हो रहे थे हम-सब यूं ही
एक ही छत के नीचे
घुट घुट कर जी रहे हैं
खुशियों में अब हिस्सेदारी रही नहीं
ग़म के तो किस्से मशहूर है
सीधी बात अब कहां कहता कोई
शायद दूर हो रहे थे हम-सब यूं ही
एक तो ये एक हाथ के फोन
ऊपर से ये सोशल मीडिया का ज़ोन
अपनों के हाल की खबर नहीं
अनजानों से साझा करने को सैकड़ों बातें पड़ी
दिल जुड़ जाए हमसे
अब ऐसी बात नहीं
शायद दूर हो गए हम-सब यूं ही ।
© preet
शायद दूर हो रहे थे हम-सब यूं ही
एक ही छत के नीचे
घुट घुट कर जी रहे हैं
खुशियों में अब हिस्सेदारी रही नहीं
ग़म के तो किस्से मशहूर है
सीधी बात अब कहां कहता कोई
शायद दूर हो रहे थे हम-सब यूं ही
एक तो ये एक हाथ के फोन
ऊपर से ये सोशल मीडिया का ज़ोन
अपनों के हाल की खबर नहीं
अनजानों से साझा करने को सैकड़ों बातें पड़ी
दिल जुड़ जाए हमसे
अब ऐसी बात नहीं
शायद दूर हो गए हम-सब यूं ही ।
© preet
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