...

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सच में तुम कौन हो?
गर तुम सिर्फ़ एक लड़की होती
तो मुझे फ़र्क नहीं पड़ता
इसलिए कि और भी लड़कियाँ मिल जायेंगी
पर तुम तो कुछ और ही हो
शायद कोई आत्मज्ञानी जो आत्मज्ञान कराने आई मुझे
कोई ऐसा एहसास जो अजीब है
एकदम सरल, चंचल, सुगंधित ईश्वरत्व की ओर ले जाने वाला
इस जगत के परे उठाने वाला
ज्ञान के सागर में डुबकी लगाने वाला
चांदनी रात में चिंतन के क्षेत्र को बढ़ाने वाला
कुछ ऐसा जो इस जगत के प्रति विस्मित कर दे
अपने मूल स्व में जो निज को अर्पित कर दे
जो इस जगत में मेरा सार दिग्दर्षित कर दे
जो मुझको मेरे मैं से बचाकर
मुझको मुझसे मिलाकर
मुझको खुद में प्रतिविम्बित कर दे
पर फिर भी मुझे नहीं आता समझ
तुम सच में कौन हो?