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ग़ज़ल
तालियां चाहिए न हमें सुर्खियां ।
फ़र्ज़ अपना समझ कर किया जो किया।
जिनकी फ़ितरत है ढूंढेंगे वो ख़ामियां।
पाल मत दिल में उनके लिए तल्ख़ियां ।
जो मुनासिब लगे काम करना वही,
पहले मेहनत करो जम के फिर मस्तियां
तैरना सीख लो पार जाना है ग़र,
काम आएंगी कब तक भला कश्तियां।
हाल बेहाल उनका ज़मीं पर जो हैं,
चांद पर तुम बसाने चले बस्तियां।
आज तुम हो जहां, कल कोई और था,
बेवफ़ा हैं सभी नाम की तख्तियां।
रूठता है कोई तो मना लो उसे,
रह न जाये ख़लिश उम्र भर दरमियां
© इन्दु
फ़र्ज़ अपना समझ कर किया जो किया।
जिनकी फ़ितरत है ढूंढेंगे वो ख़ामियां।
पाल मत दिल में उनके लिए तल्ख़ियां ।
जो मुनासिब लगे काम करना वही,
पहले मेहनत करो जम के फिर मस्तियां
तैरना सीख लो पार जाना है ग़र,
काम आएंगी कब तक भला कश्तियां।
हाल बेहाल उनका ज़मीं पर जो हैं,
चांद पर तुम बसाने चले बस्तियां।
आज तुम हो जहां, कल कोई और था,
बेवफ़ा हैं सभी नाम की तख्तियां।
रूठता है कोई तो मना लो उसे,
रह न जाये ख़लिश उम्र भर दरमियां
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