तड़पता मन...
मूकदर्शक बन बैठा रहूं,
या हाथों में उठा लूं तलवार कोई।
मैं हूं अहिंसा पसंद,
या बन जाऊं वृक्ष फलदार कोई।।
दिल में ले संविधान चलूं,
या बांध कफन सर रहमों शान चलूं।
तिल तिल पनप रही जुर्मों की दुनियां,
क्या हाथों में ले मशाल शमशान चलूं?।।...
या हाथों में उठा लूं तलवार कोई।
मैं हूं अहिंसा पसंद,
या बन जाऊं वृक्ष फलदार कोई।।
दिल में ले संविधान चलूं,
या बांध कफन सर रहमों शान चलूं।
तिल तिल पनप रही जुर्मों की दुनियां,
क्या हाथों में ले मशाल शमशान चलूं?।।...