//बंदगी//
"मोतियों सा पिरोया लफ़्जों को बंदगी आ गई,
तुम से मिली, सहमी साँसो को ज़िंदगी आ गई।
बेख़्याली में फक़्त ख़्याल रहा तेरा जानते हो न;
गुफ़्तगू हुई कुछ इसकदर बेपरद़गी आ गई।
तसव्वुर-ओ-शाम-ओ-सहर में जीती हूँ बस,
तुम से दबे ख़्वाहिशों को मेरे...
तुम से मिली, सहमी साँसो को ज़िंदगी आ गई।
बेख़्याली में फक़्त ख़्याल रहा तेरा जानते हो न;
गुफ़्तगू हुई कुछ इसकदर बेपरद़गी आ गई।
तसव्वुर-ओ-शाम-ओ-सहर में जीती हूँ बस,
तुम से दबे ख़्वाहिशों को मेरे...