वस्तुकाआवारण
#वस्तुकाआवारण
चट्टानें जो पड़ी हैं मौन,
धरती की धड़कन रखती हैं कौन।
न साँस, न धारा, फिर भी हैं अटल,
निरंतर शक्ति, शाश्वत अचल।
रेत जो उड़ती है वीराने में,
समय की कहानी है हर दाने में।
न सोच, न सपने, फिर भी समाई,
रेत के कणों में युगों की...
चट्टानें जो पड़ी हैं मौन,
धरती की धड़कन रखती हैं कौन।
न साँस, न धारा, फिर भी हैं अटल,
निरंतर शक्ति, शाश्वत अचल।
रेत जो उड़ती है वीराने में,
समय की कहानी है हर दाने में।
न सोच, न सपने, फिर भी समाई,
रेत के कणों में युगों की...