...

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चार लोग
है क्रोध भरा ये र्दद बड़ा
समाज की क्रुतियों का ही दंड मिला
तुम चलो बस ऐसे
कि लोगों को मिलता आनंद रहे
चाहे स्वयं तुम हताश रहो
जीवन भर चार लोग का तुम ध्यान रखो
आज मैं हैरान हूं
सवालों से परेशान हूं
क्या यही वो चार लोग कहलाते हैं
जो अपना कांधा दे
हमको शमशान पहुंचाते हैं ।
मेरे चीर हरण का
क्यूं मैं सम्मान करुं
जीवन इन पर टिकाऊं क्यूं
जीने भर के लिए
आधार इन्हें बनाएं क्यूं
जीवन मेरा
तो इनको जिम्मेदार बनाऊं क्यूं
चार अनजान मुझे भाए
चार परीचित से मैं दूर भला ।