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🌹"नारी "🌹
नारी हूँ मैं,कभी सुकोमल
तो कभी सब पर भारी हूँ मैं।
ईश्वर की अनुपम रचना मात्र देह
से ही नहीं,ह्रदय से भी न्यारी हूँ मै।
कभी अथाह वेदना को सह कर भी
मुस्काती,तो कभी अपनों के किचिंत
दुखों में भी अश्रु बहातीं हूँ मै।
कभी ममता की प्रतिमा कहलातीं तो
कभी स्वयं में ही हो जाती पाषाण हूँ मै।
मै ही काली,मै ही दुर्गा का रूप हूँ,फिर भी अपनो
के द्वारा कभी सम्मानित तो कभी कहलाती पतिता हूँ मैं।
© Deepa
तो कभी सब पर भारी हूँ मैं।
ईश्वर की अनुपम रचना मात्र देह
से ही नहीं,ह्रदय से भी न्यारी हूँ मै।
कभी अथाह वेदना को सह कर भी
मुस्काती,तो कभी अपनों के किचिंत
दुखों में भी अश्रु बहातीं हूँ मै।
कभी ममता की प्रतिमा कहलातीं तो
कभी स्वयं में ही हो जाती पाषाण हूँ मै।
मै ही काली,मै ही दुर्गा का रूप हूँ,फिर भी अपनो
के द्वारा कभी सम्मानित तो कभी कहलाती पतिता हूँ मैं।
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