...

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कबतक
बिंच रास्ते में फिर भटक सी गई हूं
खुद को जैसे भूल सी गई हूं
जिंदगी में कुछ कमी सी है
जानती हूं फिर भी जैसे गुंम हो गई हूं ।

कहना चाहती हूं बोहूत कुछ
लेकिन किससे कहूं पता नहीं
बयां करना चाहूं अगर
तो कैसे करूंगी पता नहीं ।

जाना चाहती हूं कहीं दूर
क्यों कब कैसे सोचा नहीं
मेरी जज्बात भी जैसे
अब शब्दों में बयां होते नहीं ।

हस्ते हुए तो मुझे सभी ने देखा है
लेकिन रोते हुए किसीने नहीं
कहानी तो हमने सब की सुनी है
कोई हमे भी पूछ लो "अपनी कहानी अबतक बताई क्यों नहीं??"



© from heart