फ़िर से चलकर दिखा
ना समझ स्वयं को निहत्था
साथी है स्वयं तू स्वयं का
भटक गया जो गर दिशा
फिर से अपना मार्ग बना ...
साथी है स्वयं तू स्वयं का
भटक गया जो गर दिशा
फिर से अपना मार्ग बना ...