...

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भगवान, लाईट नहीं तो फिर क्या है
भगवान, लाईट नहीं तो फिर क्या है
न सुझे कोई ऊपाय,
तो जो बैठुं शांन्त ओर धीरज मन से,
राह ऐक नई दिखने लगे
तो बोलो ना,
भगवान लाईट नहीं तो फिर क्या है
हारे हुऐ मन से जब सबकुछ बिखर जाऐ,
पर उम्मीद गर कायम रखुं,
तो अन्दर के कोई कोने से,
आशा के ऐक ज्योत दिखने लगे,
तो बोलो ना,
भगवान लाईट नहीं तो फिर क्या है
काली साया से जब हो चारो तरफ अन्धियारा,
युद्ध, भुखमरी, अराजकता से हो बुरा हाल,
ऐक शोच, जीससे अनेकों के तार जैसे ही जुडने लगे,
सुरज ऐक तब उगने लगे,
जिसके ऊजाले से, होने लगे ऐक नया सबेरा,
तो बोलो ना,
भगवान लाईट नहीं तो फिर क्या है
ॐ शान्ति


© Mr. Birendra K Debta