...

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यूं ही.....
यूं ही मुस्कुराना तो अच्छा नहीं
जिंदगी का यूं ही गुज़र जाना तो अच्छा नहीं
ख्वाब अगर आंखों में आए तो उन्हें रोंकू कैसे
ख्वाबों का यू ही टूट जाना तो अच्छा नहीं
पता तो सुकून का यहीं कही था.... पर मिला नहीं
रातों का करवटों में बीत जाना भी तो अच्छा नहीं
आशियां अगर चार दीवारों से बनता हो तो बना भी लू
पर सिर्फ पत्थरों के बीच भी ठिकाना तो अच्छा नहीं.....
© priya writes....✍️