...

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वफ़ा ना राश आयी
मैं खिल जाऊं सूरज के जैसा
या फिर बादल सी बारिश करुं
खोल दूँ बाहें तेरे लिए
या फिर आगोश मैं बंद करुं
चाहना ही था तुझको रकीबों को
फिर क्यों देख मुझे शरमाई
वफ़ा ना...