...

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आना किसी चांदनी रात में
तुम आना किसी रोज मिलने तो
हम देखेंगे साथ साथ
थक कर ढलती शाम को

तुम बताना मुझे
गुजरी तमाम जिंदगी और
अपना हाल
मैं देखूंगी
झुरियां तुम्हारे माथे की
और तुम्हारे सफेद हो चुके बाल

जब जिंदगी के थपेड़ों से थक कर
किसी कांधे से लग कर
चाहोगे पाना सुकून का
बस एक लम्हा
तो आना मेरे पास

मैं
नहीं पूछूंगी
की क्या किया इतने बरस
बगैर मेरे
हां तुम भी
मत देखना मेरी आंखों में

इतने सालों बाद भी
तुम्हारे लिए प्यार बचा होगा इनमे
ये जरूरी नहीं है
पर इनमे एक मोह
अभी भी देख पाओगे तुम

मुझे मोहमुक्त
देखना चाहते थे न तुम
तो तुम नहीं देख पाओगे
मुझे इस मोह में डूब कर
तुम्हे निहारते हुए
तुम पर अपनी
तमाम जिंदगी हारते हुए

आना कभी किसी चांदनी रात में
मुझे अमावस आज भी पसंद नहीं है


© life🧬
©priya singh