...

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दो कदम....
#दो कदम...
एक कदम दोस्ती का
एक कदम मुहब्बत का
दो कदम देखो तो साथ चले !

ना दोस्ती ने परवाह की
ना मुहब्बत ने कुछ सोचा
ना मुड़कर जमाने को देखा !

फर्ज दोस्ती ने निभाया
वफ़ा मुहब्बत ने निभाई
दोनों ने रिश्तों को बखूबी निभाया !

ना स्वार्थ दोस्ती का था
ना चाहत मुहब्बत को थी
जो भी मिला उसे कुबूल किया !

एहसास और जज्बातों का मेल था ये
दूरियों में भी दोनों कदमो ने मिलकर
अपना-अपना सफर खुशी से तय किया !!