...

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माँ
तू क्यों आज ज़मीन में लेटी हुई हैं।
आज फिर क्यों दुबारा धुल्हन की तरह सजी हुई हैं।
ये क्या मेरे लिए या फिर कोई और वजह हैं माँ?
क्यूँ तेरे लिये सब रो रहे हैं ।
क्यूँ तेरी आखें बंद हो चली हैं।
क्यूँ लोग दूर दूर से तेरी एक,
झलक के लिये मौजूद हैं यहां,
क्या तेरा बूलावा आ गया हैं ?
मैं तो एक मासूम हूँ।
मुझे इस दुनिया के नियम नही पता हैं माँ
तुने ही बोला था तू मेरा साथ हमेशा देगी
तो आज तू मुझे बिन बताये कहा चले गई हैं माँ,
अभी तो में तेरे लिए एक मासूम सा बेटा था,
फिर कहा मुझे इस दुनिया में अकेले छोड़ चली गई माँ।
मैं अकेले इस दुनिया से कैसे लड़ूंगा।
अब कौन मुझे यूँ प्यार करेगा।
कौन मेरा वैसे ख्याल रखेगा जैसे तू रखती थी माँ
कौन मेरी गल्तियों पे मुझे समझाएगा,
अब किससे में रूठूगा माँ।
मैं अभी इतना छोटा हूँ मुझे ये सब कुछ समझ नही आरा हैं माँ,
ये जो साया मेरे सर से उठा हैं,
अब कैसे में इसे वापस लाऊंगा,
अब कैसे में इसे वापस लाऊंगा माँ।
©IUC
This poem I have written on behalf of that child who has lost his mother today.He is very small that he don't know what is going on why everyone is crying,he does not know that his mother will never return to him.