कर्ज़
तुम मेरे कभी थे ही नहीं
मैं ख़ामखा हर दुआ में
तुम्हें मांगती रही।
वो रिश्ता कभी बना ही नहीं था
जिस रिश्ते को मैं
दिलो जान से चाहती...
मैं ख़ामखा हर दुआ में
तुम्हें मांगती रही।
वो रिश्ता कभी बना ही नहीं था
जिस रिश्ते को मैं
दिलो जान से चाहती...