कोशिश
हर मस्कत्त नाकामयाब रही,
जब दूरियाँ बेहिसाब रही,
अब कहने को कुछ बाकी नहीं,
दर्द इतना की दिलासा भी काफी नहीं,
मसला...
जब दूरियाँ बेहिसाब रही,
अब कहने को कुछ बाकी नहीं,
दर्द इतना की दिलासा भी काफी नहीं,
मसला...