...

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मोहब्बत हो गई थी
उनसे दिल लगाए बैठे रहे उन्होंने कभी आंख न मिलाई,
कितना रहे वो हम पे चिल्लाते हमने तो जुबां न हिलाई,

एक बार ही हमने जीवन में पकड़ी थी उनकी कलाई,
ख़ुदा जाने उन्हें बस मेरी इतनी सी बात रास न आई,

मोहब्बत हो गई थी पर उनके .दिल में उतर ही न पाई,
ज़िंदगी हमने उनके बगैर ही बिताने की कसम खाई,

इश्क़ में सब यही कहते थे मिलती है सदा ही तन्हाई,
उन्होंने वफ़ा समझने की कोशिश न की की बेवफ़ाई,

जब तलक वो जान पाये बने हम किसी और के जमाई,
उनकी भी बज गई थी फिर किसी और के संग शहनाई,


© प्रकाश