...

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मेरा खत तेरी आखरी नज़्म के नाम
तुम जो चली गई हो अब,
हर दिन तुम्हारा वहीं इतंजार करता हूं जहां पहली बार मिले थे हम,

जब भी तुम्हे छूने का दिल करता है।
शिउली के फूलों की खुशबू में हमारी वो पहली मुलाकात महसूस कर लेता हूं,

जब भी तुम्हे देखने का दिल करता है,
उसी स्टोर रूम में बैठ के रो लेता हूं जहां
हम चुपके से मिलते थे,

जब बात तुमसे करनी होती है,
तुम्हारा हर लेख १०० दफा पढ़...