...

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कुछ तो बताना....
चाहती क्या हो तुम , एक बार में बताना,
ये बार बार चलो छोड़ो बोल कर बातें ,
और क्यों उलझाना।

दिक्कतें हैं तो क्यू ना तुम मुझे कहो ,
ये हर बातें काफिरों को क्यू बताना।

माना तुम रूठी हो मुझसे ,पर
ये नजरों से नज़रे क्यूं चुराना।

मन नहीं लगता तुम्हारा ,ये सीधे बताना,
क्यूं बिना बात के उन्हे बतंगड़ बनाना।

हाँ, कुछ वक्त दुःखी होंगे जरूर, पर
तुम्हारी खुशी को मातम क्यूं बनाना।

खुश भी हो लेंगे कारवां देख कर हमारा , पर
शायद भूल चुके होंगे अब जताना।



© ankesh