...

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अल्फाज़ मेरे मुस्कुराया करते थे....
किसी के आने से ,
शब्द मेरे खिल जाया करते थे...
दिल ने उसकी याद से ;
अल्फाज़ मेरे मुस्कुराया करते थे...
अब क्यूँ शब्द इतने बेबस हैं मेरे ;
क्या वो सब झूठ था ,
मुझको अपना जब तुम बताया करते थे....
सोचती हूँ भूल जाऊ तुम्हे ,
पर इंतज़ार ही प्यार है ;
तुम यही तो बताया करते थे.....

© श्वेता श्रीवास