...

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बिखर गया तो क्या होगा ?
अच्छे से जो गुजर रही थी ज़िंदगी
मुसीबतों में घिर गया तो क्या होगा ?

सवाल कई है पर वाजिब जवाब नही
सवालों पे सवाल करू तो क्या होगा ?

आसान लग रही थी ज़िंदगी पर कठीन है
ज़िंदगी से ही मुखर गया तो क्या होगा ?

मुश्किलों से गुजर रहा है जो ये हंसी सफर
किसी मोड़ पर रुक गया तो क्या होगा ?

बेचैन धड़कनों को ये जो करारा मिला है
धड़कनों का चलना ही थम गया तो क्या होगा ?

सोचता हु के रुक जाऊ किसी मंजिल पर
रास्तों काही पता ना रहे तो क्या होगा ?

रेत की तरह समेटा था मुट्ठी में खुद को
इस पल में जो बिखर गया तो क्या होगा ?

© NyN ..

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