कोरा भ्रम
जंगली घास सी जिंदगी,
अंत केलिए बढ़ती रही पल पल।
भूलकर अपनी पसंदगी,
करती ताउम्र छल,जाने को जल।
हड्डियों का महज़ ढांचा,
जिसे सब "कनखियों" से जांचा।
मिले कुछेक...
अंत केलिए बढ़ती रही पल पल।
भूलकर अपनी पसंदगी,
करती ताउम्र छल,जाने को जल।
हड्डियों का महज़ ढांचा,
जिसे सब "कनखियों" से जांचा।
मिले कुछेक...