...

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बचपन
वो यादें बचपन की

वो बातें बचपन की

जो मुझे हंसाती हैं

जो मुझे गुदगुदाती हैं

वो गिर कर रोना

वो रो कर हंसना

वो मासूमियतों से भरा बचपन

वो सपनों से भरा बचपन

सब अपने लगते थे

सब सच्चे लगते थे

बचपन भी जैसे सुन्दर सपना

बड़े होते ही टूट गया ये सपना

अब सब पराये लगते हैं

अब सब हर एक बात का हिसाब रखते हैं।।


—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —
© Anki