...

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नारी....
इस आजाद सी दुनिया की..
मै भी तो एक आजादी हूं...
जो युगों युगों सबसे है लड़ी..
वो अस्त्र शस्त्र की खिलाड़ी हूं...
वो मान बनी सम्मान बनी..
ओर अपने प्रिए का ढाल बनी..
जो हर रिश्ते की नीव बनी..
मै ऐसी शक्ति शाली हूं..
सहन शक्ति में जो आगे..
उसके ही साथ है जग भागे..
वो थम जाए तो वक्त रुके..
बिन उसके सब बेवक्त लगे..
जो हर एक लिए जरूरी हो...
बिन जिसके सबमें दूरी हो..
मै वो आजाद सी चिड़िया हूं...
बिन जिसके दुनियां रुक जाए..
मै वो जननी और नारी हूं....
मै भी तो एक आजादी हूं.