...

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-: कटी-पतंग :-
किसी को उड़ाने का शौक है,
तो किसी को लूटने का,
कुछ की अपनी कट जाती है,
तो किसी को किसी ओर
के हिस्से की मिल जाती है,
कोई किसी के कटने में दुःखी है,
तो कोई अनचाहा पा कर बहुत ख़ुश है,
किसी की, कटी पतंग, उस की जिंदगी है,
तो किसी की, कटी पतंग,
किसी और की जिंदगी बन जाती है,
मगर अफ़सोस उस जालिम वक्त का,
तो किसी की जिंदगी कटी हुई पतंग बन के रह जाती है,

© Adv. Dhanraj Roy kanwal
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