#एक सुबह नई फिर आएगी
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए चल निकला है
अब उठ तू भी, है तुझे इंतजार किसका
नीरवता के सिंदूरी~स्वर्णिम पहर तले,
पंछी अपने नीड़ों को उड़ निकले,
है मौन पसर रहा अब पथ पर,
तू उठ कर कुछ संज्ञान तो कर,
निज...
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए चल निकला है
अब उठ तू भी, है तुझे इंतजार किसका
नीरवता के सिंदूरी~स्वर्णिम पहर तले,
पंछी अपने नीड़ों को उड़ निकले,
है मौन पसर रहा अब पथ पर,
तू उठ कर कुछ संज्ञान तो कर,
निज...