...

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#एक सुबह नई फिर आएगी
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए चल निकला है
अब उठ तू भी, है तुझे इंतजार किसका
नीरवता के सिंदूरी~स्वर्णिम पहर तले,
पंछी अपने नीड़ों को उड़ निकले,
है मौन पसर रहा अब पथ पर,
तू उठ कर कुछ संज्ञान तो कर,
निज व्याकुल मन को शांत तो कर,
चल छोड़ प्रतीक्षा, अब उठ चल।
तत्काल तुझे अब मुड़ना होगा,
निज चेतना से जुड़ना होगा।
जिनको जाना था चले गए।
जो चले गए फिर नहीं मुड़े ,
मत कर अफसोस बिछड़ने का,
जो गया वो तेरा था ही कहाँ?
चल उठ जा अब ज़्यादा देर न कर
उठ चल पंखों का विस्तार तो कर।
जैसे साँझ ढली इस क्षण,
रजनी भी पीछे हो लेगी,
एक सुबह नई फिर आएगी।।
© ranjeet prayas ✍️💔🔆🌅