...

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नारी कहाँ हो तुम?
नारी कहाँ हो तुम ?
चर्या में खोई सी,
पगली सी रोई सी,
कहाँ हो तुम?
नए रिश्तों के जुड़ने से लेकर,
सबके मन को जीतने तक,
अपना सर्वस्व वारती सी,
कहाँ हो तुम ?
रिश्तों की दहलीज़ पर तने,
रिश्तों के परदे के पीछे से
खुद को छिप छिप कर निहारती सी
कहाँ हो तुम?
घर संसार की जिम्मेदारियों तले,
कुशल गृहणी कहलाने की होड़ तक,
खुद को कहीं दूर से पुकारती सी,
कहाँ हो तुम?
सुबह की पहली...