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सोच कौन रहा है
महान कवि के शब्द ( पवन कुमार सैनी )
यहाँ हर कोई भ्रम में जी रहा है
मालिक सोचता है की नौकर सोच रहा है मेरा कितना अच्छा मालिक है
नौकर सोचता है की मालिक सोच रहा है कि मेरा कितना अच्छा नौकर है
सुन्दर कपडे पहने एक सोच रहा है कि लोग सोच रहे है कि मैं कितना सुन्दर हूँ
कितने सुन्दर कपडे पहन रखे है
दूसरा भी यही सोच रहा है कि लोग सोच रहे है कि मैंने कितने सुन्दर कपडे पहने है कितना सुन्दर लग रहा हूँ
मगर सच तो ये है सभी सिर्फ अपने बारे में सोच रहे है
एक काम करते करते सोच रहा है कि लोग सोच रहे कि मैं कितना काम करता हूँ
दूसरा भी यही सोच रहा है कि लोग सोच है कि मै कितना काम करता हूँ
सभी भहम में जी रहे है
मगर मैं सोच रहा हूँ
ये भी वही सोच रहा है
और ये भी वही सोच रहा है
तो इनके बारे में सोच कौन रहा है
© pawan kumar saini
यहाँ हर कोई भ्रम में जी रहा है
मालिक सोचता है की नौकर सोच रहा है मेरा कितना अच्छा मालिक है
नौकर सोचता है की मालिक सोच रहा है कि मेरा कितना अच्छा नौकर है
सुन्दर कपडे पहने एक सोच रहा है कि लोग सोच रहे है कि मैं कितना सुन्दर हूँ
कितने सुन्दर कपडे पहन रखे है
दूसरा भी यही सोच रहा है कि लोग सोच रहे है कि मैंने कितने सुन्दर कपडे पहने है कितना सुन्दर लग रहा हूँ
मगर सच तो ये है सभी सिर्फ अपने बारे में सोच रहे है
एक काम करते करते सोच रहा है कि लोग सोच रहे कि मैं कितना काम करता हूँ
दूसरा भी यही सोच रहा है कि लोग सोच है कि मै कितना काम करता हूँ
सभी भहम में जी रहे है
मगर मैं सोच रहा हूँ
ये भी वही सोच रहा है
और ये भी वही सोच रहा है
तो इनके बारे में सोच कौन रहा है
© pawan kumar saini
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